यहाँ प्रभावती को भी भरोसा था कि आज फिर वह आएगा। तो बढ़िया ताजा-ताजा माखन निकाली और मटके में भरी फिर ऊपर छींके ऊपर टांग दिया और द्वार बंद करके स्वयं अंदर छिप गईं। आई टोली देखा कि दरवाजा बंद है, तो सोचा जमुना जल भरने गयी होगी, कल की तरह। कन्हैया ने कहा- दो खड़े रहो बरामदे में जब आए तो आवाज देना। दरवाज़ा खोला धक्का मार मारकर अब इस टोली में प्रभावती का देवर भी था। बुलाया कन्हैया ने; छोटा सा था देवर, पूछा- कहाँ रखा है माखन?. बताया इस कमरे में छींके में, सुनते ही बड़ी क्रोधित हुई प्रभावती अपने देवर पर। तुझे भी देख लूंगी; तू ही सब समाचार पहुंचाता है। प्रभावती ने सोचा इतना ऊपर है ये कैसे निकालेंगे?.. लेकिन उनके पास भी तरीका था पहले पांच फिर तीन फिर दो और उसके सबसे ऊपर कन्हैया। जैसे कन्हैया ने मटका पकड़ा मित्रों ने पूछा लाला पकड़ लियो। बोले- हाँ भैया! पकड़ लियो। ठीक उसी समय प्रभावती प्रगट हो गई। अभी ठहरो, देखती हूँ सबको; अरे भागो-भागो यहाँ तो प्रभावती है। गिरे सब नीचे गिरते पड़ते भागने लगे सब और कन्हैया लटके रह गए।
प्रभावती ने कहा- वाह! बहुत सुन्दर लाला; तेरी मइया मानती नहीं ना, ऐसे लटके रहियो। अभी बुलाकर लाती हूँ तेरी माँ को और बताती हूँ की ये है तुम्हारे लाला का पराक्रम; तब तो पिटाई होगी तुम्हारी।
कन्हैया ने कहा- ओए प्रभावती देख, मेरी बात सुन; तू घर पर जावेगी, माँ को बुलावेगी तब तक तो बहुत देर हो जाएगी और मैं लटका रह नहीं सकता। ऐसा कर ना मुझे ही ले कर चल मेरी माँ के पास, तुझे पिटाई ही करवानी है तो ऐसे करवा। तब तक तो मेरा हाथ दुखने लगेगा।
प्रभावती ने कहा- आए ना ठिकाने पर; कहा- लाला को, अच्छा आ जाओ! अब कन्हैया नीचे आए, मुख साफ करने लगे तो प्रभावती ने कहा- खबरदार! साफ मत करना। रंगे हाथों पकड़ के ले जाना है यशोदा मइया के पास, अब अपनी दाएं हाथ से कृष्ण का बायां हाथ पकड़ा और घूंघट निकला, क्योंकि गली में बड़े बुजुर्ग बैठे रहते है। यह मर्यादा है, ले जाने लगी हाथ पकड़ के और कन्हैया की टोली भी पीछे-पीछे चली, बाहर खड़े इंतजार कर रहे थे ना! कब निकालेगा कन्हैया?.. देखा तो उनके पीछे-पीछे चल पड़े। आगे कन्हैया को पकड़ के प्रभावती पीछे-पीछे ग्वालों की टोली, मित्र बड़े चिंतित हो गए, आज हमारा सरदार पकड़ा गया। आज इसकी पिटाई होगी, क्या करें?.. घर नजदीक ही है, लाला ने भी सोचा यदि इस स्थिति में माँ के हाथ में देती है मुझे, तो मइया नहीं छोड़ने वाली, पिटाई अवश्य होगी। कुछ तो करना पड़ेगा!
कन्हैया ने पीछे देखा तो प्रभावती का देवर भी आ रहा था, उसे इशारा किया नजदीक आओ और प्रभावती घूंघट निकाले हुए जा रही थी, माँ के पास और कहती जाती है। चल आज तेरी पिटाई करवाती हूँ। कन्हैया ने कहा- ठीक है पर तुमने मेरी कलाई कितनी कसके पकड़ी है, हाथ लाल हो गए। देखो; बायां हाथ छोड़ो, दायां हाथ पकड़ो, ये हाथ मेरा दुखने लगा।
प्रभावती ने कहा- यहाँ तो तुम्हारा हाथ लाल हुआ है! घर पहुंचो माँ ऐसी थप्पड़ लगाएगी के तुम्हारा गाल लाल हो जाएगा। आज तो पिटाई करवाऊंगी, पिटवाकर ही छोडूंगी मेरा नाम प्रभावती है। लाओ अपना हाथ। कन्हैया ने हाथ छोड़ा और दूसरा हाथ दिया प्रभावती के हाथ में, लेकिन अपना नहीं; उसके देवर का! ले.. जा; तेरा तुझको समर्पित।
अब प्रभावती ने तो लंबा घूँघट निकाला हुआ है यह देख पीछे सब ग्वाल बाल हंसने लगे। वाह कन्हैया बढ़िया तरकीब निकाली। अब कन्हैया ने अपना मुख हाथ साफ किया और दौड़ते हुए गए जहां माँ यशोदा बैठीं थी आंगन में; उनकी गोद में जाकर बैठ गए और बोले- मैया! ओ प्यारी मैया! मैया ने कहा- काह बात है बेटा कन्हैया ने कहा बस यूं ही कन्हैया का बात है बताओ भैया ये गोपियां मुझे बहुत बदनाम करती है गोकुल में भला मैं क्यों चोरी करूँ हमारे पास तो इतनी सारी गाय है इतना सारा मक्खन है मैया साँची कहूँ ये सब गोपियां तुम्हारी ईर्ष्या करती हैं। माँ यशोदा बोलीं- ईर्ष्या वो क्यों करने लगी। कन्हैया ने कहा- तेरे जैसा लाला किसी को नहीं है ना, इसलिए! मैया बोली- चुप बदमाश अपने मुंह अपनी बड़ाई करता है। नहीं माँ!.. सच में, सब गोपियां ईर्ष्या करती है। इसलिए बार बार यहाँ शिकायत लेकर आती हैं। भला मैं क्यों चोरी करने लगा, झूठ मूठ मुझे बदनाम करती हैं। मैया- ने कहा- लाला! मैं जानती हूँ मेरा लाला बहुत सीधा है, बहुत अच्छा है।
सच में बहुत बुरी आदत है इन गोपियन की जब देखो शिकायत लेकर मेरे घर चली आती है। इसलिए तो मैं उनकी एक नहीं सुनती। फिर कन्हैया ने रोने का बहाना बनाया और बोले- क्या नहीं सुनती माँ! बस यह मुझे बदनाम किए जा रही है। देखो अब तो मुझे लोग ही चोर कहने लगे, रोज़ मुझे चिढ़ाते हैं रोज़ कोई न कोई आ जाती है। देखना अभी कोई न कोई झूठी शिकायत लेकर आती ही होगी और मैं तो बैठा हूँ तुम्हारी गोद में और मुझे चोर कहेंगे। माँ जसोदा ने कहा- अच्छा तो आने दो उसे देख लूंगी मैं। लाला शांत! हाँ माँ… देखना।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें