गुरुवार, 1 दिसंबर 2022

पांचवा दिवस 87

हम सबने बाबा नंद को बधाई दी बड़े धूमधाम से जन्मोत्सव भी बनाया। 

पर महाराज इतनी जोर को हल्ला भयो की गोकुल में लल्ला भयो। अब बात पहुंच गई बरसाने में, सो वृषभान जी बोले- यह हल्ला कायको है रह्यो है?. बोले- महाराज! बधाई हो… आपके प्रिय मित्र नंद जी के यहां लाला भयो है। देखो इन दोनों को बचपन की प्रतिज्ञा थी, नंद बोले- देखो अगर आपको लाला होय मेरे यहां लाली तो मैं आपको टीको भेजूंगो और आपके यहां यदि लाली होवे और हमारे यहां लाला तो आप टीको भेजियो। बस विधाता ने अच्छो संजोग बिठायो बिनके लाला भयो हमारे तो पहले ही लाली भई। अब बढ़िया-बढ़िया टीको सजायो, बरसाने की गोपियां सज धज के टीको लेकर आए रही हैं। अच्छा मालूम टीको कायते कहें। सगाई ते टीको कहें। जन्म हैवे की देरी ना भई सगाई है रही है। अब तो महाराज आनंद के साथ परमानंद हुआ। गोकुल में सब नाचने लगे- नंद महर घर ढोटा जाओ 
बरसाने ते टीको आयो।।

1 टिप्पणी:

  1. गुरूजी माखन चोरी लीला ९३ के बाद आपने कोई पोस्ट नहीं डाली। मैं आपके इन लेखो को नियमित रूप से पड़ता हूँ।
    बहुत ही सुन्दर और सरल भाषा मैं समझाया गया है। मैं अगले लेख का इंतजार कर रहा हूँ।
    जय श्री राधे राधे

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