महराज! आठवें पुत्र का जन्म हो गया। कंश भी बिस्तर छोड़ कर वसुदेव देवकी के पास पहुंचा और उनसे उस कन्या को छीन कर मारने के उद्देश्य से जैसे ही उसने उछाला वह कन्या आकाश में अष्टभुजा धारण कर प्रगट हो गई।
किं मया हतया मन्द जातः खलु तवान्तकृत। यत्र क्व वा पूर्वशत्रुर्मा हिंसीः कृपणान वृथा।।
अरे मूर्ख कंश तुम्हें निरपराध बालकों को मारने से भला क्या मिला?.. वहां तेरे काल ने जन्म ले लिया।
अरे माताजी! उस गांव का नाम तो बताओ! यह तो हम नहीं बताती, बस इतना समझो कि इसी 84 कोस वृज में कहीं है। खुद ढूंढ लो, अब तो कंश तुरत अपनी बहन देवकी के पास आया बोला- बहन हमें माफ कर दीजिए। बहन जी हमने आपके पुत्रों का वध व्यर्थ ही में किया।
वसुदेव देवकी जी को मुक्त किया, लेकिन उन्हें मथुरा से कहीं जाने नहीं दिया। लेकिन हम तो जाएंगे! आइए हम सब मिलकर बाबा नंद के घर चलते हैं। गोकुल में अब कुछ परिस्थिति बदली है अब जो नंद बाबा हैं, वह वृज के सम्राट हैं; गोपन के राजा हैं। पर लाला तो अभऊँ ना भयो, बाबा के मन में बड़ी चिंता है। तब बृजवासीन ने कही बाबा ब्राह्मणन कूँ नेक चकाचक घुटवायदो, सोई लाला होई जाएगो। अब बाबा ने ब्राह्मणन को बुलायो अनुष्ठान शुरू करायो। अब बात यह भई, की सबन कूँ लगवे लग्यो कि अब लाला पक्को होयगो।
नंदरानी कूँ छोरा होयगो सबन को ऐसी प्रतीत है वे लगी। देखो बाबा नंद कूँ दो बहन हैं, नंदा और सुनंदा अब नंदा सुनंदा को जब पता चली कि नंद रानी को लाला होइवे बारो है, तो 15 दिनन ते वो भी डेरा डारके इधर ही पड़ी है।
अब नंदा सुनंदा को बड़ो उमंग जागो, अब आज देखो कितनो भोर है गयो है। पर नंद रानी उठ नाय रही कहा बात है। भोर कूँ 5:00 बज रह्यौ हैं, आज जगी क्यों नाय। चलो चल कर देखि आवे। अब सुनंदा पहुंची नंद रानी के महल में और झरोखे में ते देख्यो तो नंद रानी तो सोए रही हैं, पर बाजुए में कारो कारो छोटो सो छोरा खेल रह्यो है।
मन में सोच्यो, है तो गयो पर भयो काह पतो नाय तो अंदर पहुंची नंद रानी के पास में और जैसे ही बा लाला के तन पर ते कपड़ा हटायो और देखते ही बोली-
बोल नंद के लाला की
बाल कृष्ण लाल की
बड़ी आनंद भई मन में, है गयो लाला। अब सबते पहले कौन-कूँ बताऊं, तो दौड़ी दौड़ी नंद बाबा के पास पहुंची। नंद बाबा बैठे हैं गौशाला में और सवेरे के 5:00 बज रहे हैं नंद बाबा बैठे बैठे माला जप रहे हैं और माला में मंत्र जप रहे हैं, कौन सा। अवई तो भयों नाय, जाने कब होयेगो। सुनंदा ने जाकर बधाई दी भाई जी! बधाई हो…. अरे काय बात की बधाई! भाई जी आपने ब्राह्मण को जिवायो, माता कात्यायनी की पूजा कराई बस इन सबन को फल है गयो। अरे तुम्हारे नीलमणि जैसो लाला आयो है। जब नंद जी ने सुनी लाला आयो है, सोई 75 बरस के बाबा 20 बरस के हो गए। और बाबा ने तुरत जमुना मैया में डुबकी लगाई, जमुना में डुबकी लगाईवे के बाद में माथे पर थापक थौआ चंदन लगायो। मुछन में इतर लगायो, आँखन में काजर लगायो लंबी कांछ मार के फेटा कस्यो, बगल बंदी पहरी और मुरैठा बांध्यो। तब बोले- च्योरे छोराओ नेक लइयो दर्पण। बृजवासीन ने दर्पण दिखायो, बोले- कैसो लगूँ।
बोले- बाबा बिल्कुल दूल्हा।
नंद बाबा बड़े हर्षित आनंदित हैं रहे हैं अब शांडिल्य ऋषि के पास में पधारे नंद बाबा शांडिल्य ऋषि बाबा नंद के गुरु जी हैं। तो गुरु जी बोले- यजमान बड़े हर्षित आनंदित होए रहे हो काह बात है?..
बोले गुरु जी! म्हारे घर छोरा भयो है ना। आपकी कृपा ब्राह्मण की कृपा से आज है ही गयो। बड़े आनंद की बात है यजमान बधाई हो। अब बाबा ब्राह्मण को बुलाकर स्वस्तिपाठ करायो। जात कर्म संस्कार करायो, विधि पूर्वक कुल देवता की पूजा कराई। फिर “धेनुनां नियुते प्रदाद” ब्राह्मणन को 2 लाख गाय दान में दी और ऐसी वैसी गाय नहीं! समलड़्कृते सोने से खुर मढाये सिघों में हीरे मोती जड़े, ऐसी गाय जो हाल में ही ब्याई हो, दूध देने वाली गायों का दान किया और तिल के सात पहाड़ बनाए, उच्च सात आचार्यों को दान किया। ऐसा नंद जी का वैभव, फिर जब बृजवासीन को पता चली तो बड़ी-बड़ी चांदिन की थारिन में माखन मिश्री ले ले के पहुंचवे लगे। पालने में लाला सोवे दोनों तरफ नंद यशोदा विराजमान है।
बृजवासी मंडली और गोपी मंडली आई, यशोदाजी से बोली- यशोदा जी बधाई है! बहनों लाख-लाख बधाई तुम्हारिन आशीर्वाद से तो लाला भयो है। इतने में बृजवासी पहुंचे बृजवासी बाबा से बोले- बाबा बधाई है! अरे भैया बहुत-बहुत बधाई है तुम्हारिन कृपा ते तो लाला भयो है। अब महाराज पलना में ललना सो रहे हैं सब बधाई देवें और आप भी प्रेमभाव के गीत गईयो।
कन्हैया झूले पालना
नेक धीरे झोटा दीजो..
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