गुरुवार, 25 फ़रवरी 2016

प्रथम स्कन्ध : सौनक जी के प्रश्न। (15)

शौनक जी बोले- महराज​! राजा परीक्षित तो सम्राट हैं। छोटे-मोटे गृहस्थियों को सात दिन का समय निकालने में समय लगता है। कभी कोई काम तो, कभी कोई काम आजाता है। वो लगातार कथा नहीं सुन पाते, तो फिर चक्रवर्ती सम्राट राजा परीक्षित ने कैसे सात दिन का समय निकाला? महराज! राजा ने शुकदेव जी से भागवत कथा का श्रवण कैसे किया और शुकदेव जी तो परमहंस हैं? कभी एक स्थान पर ज्यादा समय तक ठहरते नहीं। तो लगातार सात दिन कथा श्रवण कैसे कराया?  इस कथा का आयोजन कैसे और कहां पर किया गया?  यह सब विस्तार से कहिए।

तब सूतजी कहते हैं- ऋषियो! वैसे परीक्षित की कथा सुनाने की जरूरत नहीं, पर परीक्षित की कथा से भगवान श्रीकृष्ण की कथा प्रगट होती है इसलिए मैं इसे सुनाना जरूरी समझता हुँ। राजा परीक्षित का सम्बन्ध महाभारत से है, ये पाण्डवों के पौत्र हैं। अर्जुन का विवाह श्रीकृष्ण की बहन सुभद्रा जी से हुआ। सुभद्रा जी के पुत्र हुए अभिमन्यु, जो महाभारत के युद्ध में चक्रव्यूह के द्वारा मारे गये। परन्तु अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा गर्भवती थीं, और इन्हीं उत्तरा के गर्भ से महाराज परीक्षित जी का जन्म हुआ। जो अर्जुन के सगे पौत्र हैं। तो आईये यहाँ पर हम परीक्षित जी के जन्म की कथा सुनते हैं जिसका सम्बन्ध महाभारत से है।
यदा मृधे कौरव सृञ्जयानां
             वीरेष्वथो वीरगतिं गतेषु।
वृकोदराविद्धगदाभिमर्श​
             भग्नोरुदण्डे धृतराष्टपुत्रे॥

सूतजी! कहते हैं- ऋषियो! कौरव और पाण्डवों में जब घनघोर युद्ध हुआ महाभारत का तो अन्त में विजय पाण्डवों को प्राप्त हुई। धृतराष्ट पुत्र दुर्योधन का जंघा भीम ने तोड़ दिया और दुर्योधन मूर्छित अवस्था में पड़ा है। विजय शंख का नाद हुआ और पाण्डव श्रीकृष्ण के साथ शिविर की ओर चल पड़े। 

महाभारत युद्ध में कौरवों की ओर से केवल तीन लोग ही बचे हैं। गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा, कृपाचार्य और कृतवर्मा।

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