भक्त कहता है, "प्रभु मुझे तो इस संसार आपके अतिरिक्त कोई भी रक्षक नजर नहीं आता। एक बार केबल एक बार तो कोई कहदे। त्वमेव माता पिता त्वमेव... त्वमेव सर्वम मम देव देव॥
हम अपने मुख से तो नित्य कहते रहते हैं, पर दिल से हृदय से नहीं कहते। देवी उत्तरा ने दिल से कहा इसलिए उसे ऐसा सौभाग्य प्राप्त हुआ। अब भगवान प्रगट हुए और मुस्कुराते हुए बोले बेटी! अब तो कोई कष्ट नहीं है। यह सुन उत्तरा महारानी इतनी भाव विह्वल होगई की भगवान श्रीकृष्ण से कुछ कह ही नहीं पा रहीं। नेत्र भर गये और कण्ठ अवरुद्ध हो गया। भगवान बोले! अच्छा अब हम चलते हैं। कन्हैया रथ में बैठे तो महादेवी कुन्ती भगवान श्रीकृष्ण के रथ के आगे आंचल फैलाए रथ के सामने आई। आखों में आंस्रु धारा कंठ गदगद भगवान को नमन करती हुई कुन्ती महारानी ने ऐसी अद्भुद स्तुती करी भगवान प्रसन्न हो गये।
कृष्णाय वासुदेवाय देवकी नन्दनाय च। नंदगोप कुमाराय गोविन्दाय नमो नमः॥
नमः पंकज नाभाय नमः पंकज मालिने। नमः पंकज नेत्राय नमस्ते पंकजाड़्घये॥
नमः पंकज नाभाय नमः पंकज मालिने। नमः पंकज नेत्राय नमस्ते पंकजाड़्घये॥
हे गोविन्द! हे देवकी नन्दन वासुदेव!
मैं आपको बार-बार नमस्कार करती हूँ। भगवान मुस्कुराए! बोले- बुआ जी यह उल्टी गंगा कायको बहा रही हैं, आपतो मेरी बुआ हो और आप मुझे क्यूँ प्रणाम कर रहीं हैं। आपतो मुझे आदेश दो, क्या करना है मुझे। कुन्तीमहरानी बोलीं- कन्हैया आज तुम शान्त रहो बीच में मत बोलो मुझे जो कुछ कहना है कहलेने दो। क्यूँकि जब तुम बुआ-बुआ कहकर आवाज लगाते हो तो मैं भी तुम्हे भतीजा समझकर रह जाती हूँ।
मुझे भी लगता है; की मेरे भैया वसुदेव का पुत्र ही तो है! पर आज समझ में आगया। तुम मेरे भतीजे ही नहीं, भैया वसुदेव के पुत्र ही नहीं कुछ और भी हो इसलिए बुआ कहकर मेरे आंखों में माया का मुझे भी लगता है। की मेरे भैया वसुदेव का पुत्र ही तो है। पर आज समझ में आगया। तुम मेरे भतीजे ही नहीं, भैया वसुदेव के पुत्र ही नहीं कुछ और भी हो इसलिए बुआ कहकर मेरे आंखों में माया का परदा मत डालो। मुझे कुछ कहना है वह कहलेने दो। आपतो प्राकृति से परे परमपुरुष नारायण हो; प्रभू मैं जान गई। आप कड़-कड़ में निवास करते हुए भी किसी को नज़र नहीं आते। क्योंकि माया के परदे में छुपे रहते हो, मायाका परदा जिनकी आंख से हटे वही आपको देख पाए, जान पाए और आप जिसे जनाना चाहो उसी की आंख परदा हटादेते हो। अर्थात जबतक आपकी माया का परदा व्यक्ति की आंख में पड़ा है वह निकट होकर भी आपको नहीं देख सकता।
कन्हैया आपने मेरे ऊपर कितने अनुग्रह किए कितनी कृपा करी; विचार करती हूँ तो लगता आपने अपनी माँ पर भी इतना अनुग्रह नहीं किया होगा जितना आपने मुझपर कृपा की। आपने आपनी मां देवकी को तो बचालिया उस पापी कंश के अत्याचारों से, अपने पिता वसुदेव को तो बचालिया। पर हे देवकी नन्दन! उन निर्दोष बच्चों को नहीं बचापाए। जो पापी कंश के हाथों मारे गये। उस दुष्ट ने छः-छः पुत्रोंकी हत्या करदी, और मुझे मेरे पांचों पुत्रों के साथ हजारोंबार बचाया। मेरे पुत्र भीम को विष खिलाया गया, जहर पिलाया गया। लेकिन वह विष मेरे बेटे को बलवान बना दिया यह आपकी कृपा नहीं तो क्याहै। द्रोपदी के चीर को बढाया हमारी लाज बचायी! ये संकट तो यदा कदा है; महाभारत के संग्राम में पितामह भीष्म गुरु द्रोण वीर करण जैसे न जाने कितने योद्धा थे, ये सब मेरे पुत्रों के काल बनकर मडरारहे थे। परन्तु हर काल से आपने मेरे पुत्रों को बचाया। भगवान बोले- बुआजी ये आपके धन हैं; आपके पुत्र हैं ही इतने सूरवीर की हर संकटों का समना स्वयं कर लेते हैं। अब इसमे भला मैने क्या किया। कुन्ती बोली- देखो तुम बहाने मत बनाओ, तुम करते हुए दिखाई नहीं देते पर सब करते तुम ही हो। क्योंकि आप करते हुए भी कुछ नहीं करते और कुछ न करते हुए भी सब कुछ करते हो।
मैं आपको बार-बार नमस्कार करती हूँ। भगवान मुस्कुराए! बोले- बुआ जी यह उल्टी गंगा कायको बहा रही हैं, आपतो मेरी बुआ हो और आप मुझे क्यूँ प्रणाम कर रहीं हैं। आपतो मुझे आदेश दो, क्या करना है मुझे। कुन्तीमहरानी बोलीं- कन्हैया आज तुम शान्त रहो बीच में मत बोलो मुझे जो कुछ कहना है कहलेने दो। क्यूँकि जब तुम बुआ-बुआ कहकर आवाज लगाते हो तो मैं भी तुम्हे भतीजा समझकर रह जाती हूँ।
मुझे भी लगता है; की मेरे भैया वसुदेव का पुत्र ही तो है! पर आज समझ में आगया। तुम मेरे भतीजे ही नहीं, भैया वसुदेव के पुत्र ही नहीं कुछ और भी हो इसलिए बुआ कहकर मेरे आंखों में माया का मुझे भी लगता है। की मेरे भैया वसुदेव का पुत्र ही तो है। पर आज समझ में आगया। तुम मेरे भतीजे ही नहीं, भैया वसुदेव के पुत्र ही नहीं कुछ और भी हो इसलिए बुआ कहकर मेरे आंखों में माया का परदा मत डालो। मुझे कुछ कहना है वह कहलेने दो। आपतो प्राकृति से परे परमपुरुष नारायण हो; प्रभू मैं जान गई। आप कड़-कड़ में निवास करते हुए भी किसी को नज़र नहीं आते। क्योंकि माया के परदे में छुपे रहते हो, मायाका परदा जिनकी आंख से हटे वही आपको देख पाए, जान पाए और आप जिसे जनाना चाहो उसी की आंख परदा हटादेते हो। अर्थात जबतक आपकी माया का परदा व्यक्ति की आंख में पड़ा है वह निकट होकर भी आपको नहीं देख सकता।
कन्हैया आपने मेरे ऊपर कितने अनुग्रह किए कितनी कृपा करी; विचार करती हूँ तो लगता आपने अपनी माँ पर भी इतना अनुग्रह नहीं किया होगा जितना आपने मुझपर कृपा की। आपने आपनी मां देवकी को तो बचालिया उस पापी कंश के अत्याचारों से, अपने पिता वसुदेव को तो बचालिया। पर हे देवकी नन्दन! उन निर्दोष बच्चों को नहीं बचापाए। जो पापी कंश के हाथों मारे गये। उस दुष्ट ने छः-छः पुत्रोंकी हत्या करदी, और मुझे मेरे पांचों पुत्रों के साथ हजारोंबार बचाया। मेरे पुत्र भीम को विष खिलाया गया, जहर पिलाया गया। लेकिन वह विष मेरे बेटे को बलवान बना दिया यह आपकी कृपा नहीं तो क्याहै। द्रोपदी के चीर को बढाया हमारी लाज बचायी! ये संकट तो यदा कदा है; महाभारत के संग्राम में पितामह भीष्म गुरु द्रोण वीर करण जैसे न जाने कितने योद्धा थे, ये सब मेरे पुत्रों के काल बनकर मडरारहे थे। परन्तु हर काल से आपने मेरे पुत्रों को बचाया। भगवान बोले- बुआजी ये आपके धन हैं; आपके पुत्र हैं ही इतने सूरवीर की हर संकटों का समना स्वयं कर लेते हैं। अब इसमे भला मैने क्या किया। कुन्ती बोली- देखो तुम बहाने मत बनाओ, तुम करते हुए दिखाई नहीं देते पर सब करते तुम ही हो। क्योंकि आप करते हुए भी कुछ नहीं करते और कुछ न करते हुए भी सब कुछ करते हो।
बिनु पग चले सुने बिनु काना। कर बिन कर्म करहि बिधी नाना॥
करते कुछ नहीं पर करते सब आप ही हो।
मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है, करते हो तुम कन्हैया मेरा नाम हो रहा है॥
जय श्री कृष्ण
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